ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है अतः ऊष्मा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है बस एक ऊष्मा से दूसरी ऊष्मा में परिवर्तित किया जा सकता है।
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम कार्य तथा ऊष्मा की तुल्यता को प्रदर्शित करता है -
इस नियम के अनुसार किसी निकाय को दी गई ऊष्मा दो रूपों में व्यय होती है 1. कार्य करने में 2. निकाय की आंतरिक ऊर्जा बढ़ाने में।
Formula - Q = ΔU + W
Mathmatical formula - dQ = dU + dW
Subscribe Our Newsletter
0 Comment
Post a Comment